सरोगेट मदर का कानून

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सरोगेट मदर का कंसेप्ट उन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है, जो किसी वजह से संतान हासिल नहीं कर पा रहे हैं। भले ही अपने देश में इसे कानूनी मान्यता हासिल है और यह पॉपुलर भी हो रहा है, लेकिन फिर भी इसमें कुछ पेच हैं, जिन्हें जानना जरूरी है-

कहते हैं, मां बनने जैसा सुख शायद ही दुनिया में कोई और हो। मां बनना एक महिला को पूर्णता का अहसास ही नहीं, एक नया जन्म भी देता है, लेकिन जो महिलाएं इस सुख से वंचित रहती हैं, उनके लिए साइंस ने कई रास्ते निकाल लिए हैं। सरोगेट मदर का रास्ता इन्हीं में से एक है। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब लोग इस तकनीक को अपना रहे हैं। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में तो बड़ी तादाद में निसंतान दंपती विभिन्न एआरटी सेंटरों में पहुंच रहे हैं। कई सेंटर्स में अमेरिका, एशिया और इंग्लैंड की महिलाओं ने बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। हालांकि इस प्रक्रिया से बच्चा हासिल करना महंगा है, लेकिन संतान की चाह रखने वालों के लिए यह बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।




सरोगेट मदर के मुद्दे पर हमारी सरकार भी काफी सजग है। पिछले दिनों महिला और बाल विकास मंत्रालय के एक कार्यक्रम में किराए की कोख के मुद्दे पर कई योजनाओं पर विचार हुआ। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी कहती हैं, 'जो व्यक्ति सरोगेट मदर को नियुक्त करते हैं, उन्हें केवल सरोगेट मदर के स्वास्थ्य और भोजन का भुगतान करना होगा, वह भी उसकी प्रेग्नेंसी के दौरान।'


भारत जैसे विकासशील देश में सरोगेसी व्यापार का शक्ल अख्तियार करती जा रही हैं सरोगेट इंडस्ट्री दिन रात चौगुनी फलफूल रही है इसका कारण यह है कि पश्चिमी देशों में जहाँ यह काफी खर्चीला है वहीं भारत जैसे गरीब देश में ब्रिटेन या अमेरिका के अपेक्षा एक तिहाई खर्चा करने पर कोख आसानी से खरीदी जा सकती है अगर सरोगेसी को व्यापार में बदलने से रोकना है तो पश्चिमी देशों के जरिए होने वाले इस अवैध व्यापार पर भारत में कानूनी रोक लगानी चाहिए भारतीय मातापिता भारत में ही सरोगेट मदर ढूंढ़ सकते हैं ,विदेशियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए भारत में भी सरोगेसी की अनुमती उन्हें ही मिलाने चाहिए जो माँ ह्रदय रोग या कोई अन्य घातक बीमारी से पीड़ित हों , उन्हें हीं अपना बच्चा बनबाने की अनुमती मिलनी चाहिए

इस क्षेत्र में दान की वृहतर भावना को भी बढ़ावा मिलाना चाहिए न कि इसे इकॉनोमिकाली देखा जाना चाहिए साथ ही अनाथ बच्चों को गोद लेने पर बल दिया जाना चाहिए अमेरिका तथा ब्रिटेन जैसे देशों में सरोगेट मदर ही बच्चे की कानूनी माँ होती है , पर भारत में ऐसा नहीं है विशेषज्ञों या डॉक्टरों का मानना है कि सरोगेट मदर का न तो अपना ओवेरी ( overy ) होता है न स्पर्म (sperm ) सिर्फ बच्चा माँ के गर्भाशय में पोषण प्राप्त करता है बच्चे में माँ का अनुवांशिक या जेनेटिक गुण भी नहीं आता है अगर बच्चे के जन्म के बाद माँ अगर भावनात्मक तौर पर बच्चे से जुड़ जाती है तो भी उस बच्चे को उसे अपने पास रखने का अधिकार नहीं है बच्चा बड़ा होकर जन्म देनी वाली माँ को ही अपना माँ माने तो ऐसी परिस्थिती में बच्चा दिमागी तौर पर तनावग्रस्त होगा




क्या कहता है कानून
हाई कोर्ट के वकील मनोज कुमार झा का कहना है कि अपने यहां किराए की कोख को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है। एक महिला जब किसी के बच्चे को कोख में रखती है, तो उससे पहले सरोगेट मदर और बच्चे लेने वाले के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट साइन हो जाता है। इस कॉन्ट्रैक्ट में तमाम बातों का जिक्र किया जाता है जैसे रेंट, खर्चे, सरोगेट मदर क्या खाएगी, क्या नहीं आदि।

कितना आता है खर्च
रूस में सरोगेट मदर चाहने वालों को दस से बीस लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि अपने यहां दो लाख रुपये तक में ही सरोगेट मदर मिल सकती हैं। वैसे, भारत में भी आजकल किराए की कोख व्यवसायीकरण की आंधी से अछूती नहीं रही है। यहां भी किराए की कोख की कीमत कई बार दस लाख रुपये तक पहुंच जाती है।

क्या करें-क्या न करें
-किराए की कोख से बच्चा होने के बाद कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें सरोगेट मदर का अपने गर्भ में पल रहे बच्चे से भावनात्मक लगाव हो गया और वह उसे उसके वास्तविक माता-पिता को लौटाकर अपना वादा पूरा करने को राजी नहीं हुई। इस स्थिति से बचने के लिए पहले ही लिखित में एग्रीमंट कर लें।
- तय कर लें कि सरोगेट मदर को आप कितना पैसा देंगे।
-प्रेग्नेंसी के दौरान अगर उसकी तबीयत अचानक खराब हो जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, इसके बारे में भी पहले से ही तय कर लें।
-यह तय करना भी बहुत जरूरी है कि बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर किस मां का नाम आएगा।
-इस बात का फैसला भी पहले ही कर लें कि बच्चे को सरोगेट मदर के बारे में बताया जाएगा या नहीं।



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