नई दिल्ली. भारतीय नौसेना ने ब्लू वाटर नेवी बनने की तमन्ना पूरी करने के लिए समुद्री ताकत के दीर्घकालिक लक्ष्य तय किए हैं। अगले एक दशक में नौसेना अपने बेडे में 150 नए जंगी पोत जोड़ेगी। नौसेना से जुड़े सूत्रों ने रविवार को बताया कि इनमें 50 पोत भारतीय और विदेशी शिपयार्डों में निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं जबकि 45 जंगी पोत अनुबंधों के दौर से गुजर रहे हैं। इन 45 जंगी जहाजों के लिए या तो अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं या कीमतों पर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है।
जिन 50 पोतों का निर्माण कार्य चल रहा है उनमें से सिर्फ चार ही बाहरी शिपयार्ड में बन रहे हैं। इनमें विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव भी शामिल है जो इस समय रूस के सेवमाश शिपयार्ड में रिफिटमेंट के अंतिम दौर में है। इसे भारतीय नौसेना में आईएनएस विक्रमादित्य नाम से शामिल किया जाएगा। उम्मीद है कि रूसी शिपयार्ड में ही इसे दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस पर भारत के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
अगले महीने से इसके समुद्री परीक्षण शुरू हो रहे हैं जो साढ़े तीन माह तक चलेंगे। यह विशालकाय पोत जनवरी 2013 में भारत की ओर प्रस्थान करेगा। बाकी तीन पोत तेग श्रेणी के हैं जिसमें से एक पोत इसी महीने 27 अप्रैल को भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहा है। जिन 150 पोतों को मैरिटाइम परस्पेक्टिव प्लान के तहत हासिल किए जाने की योजना है उनमें से 80 फास्ट इंटरसेप्टर जलयान कोलंबो में बनाए जा रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि अनुबंध के दौर में चल रहे ४५ पोतों में १६ हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 4 लैंडिंग पोर्ट डौक (एलपीडी) भी हैं जो विशालकाय जंगी पोत होंगे। इनके जरिए जल से जमीन पर युद्ध छेड़ा जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि इन पोतों के लिए अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित (आरएफपी) किए जा चुके हैं। आरएफपी पांच भारतीय शिपयार्डों को आमंत्रित की गई जिनमें एक से अधिक निजी शिपयार्ड भी शामिल हैं। अनुबंध की शर्त के अनुसार, इन शिपयार्डों को किसी विदेशी शिपयार्ड के साथ सहयोग कायम करना होगा और चुने हुए शिपयार्ड को पहले दो पोत अपने यार्ड में बनाने होंगे। बाकी दो पोत टेक्नोलॉजी हस्तांतरण के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के दायरे में लाए गए हिदुस्तान शिपयार्ड में बनाए जाएंगे।
अनुबंध के दौर से गुजर रहे बाकी पोतों में ८ काउंटर माइन शिप, एक फ्लोङ्क्षटग ड्राई डौक, १६ तटीय पनडुब्बी भेदी पोत, दो डीप सबमॢसबल वैसल, ७ पोत १७ अल्फा परियोजना के तथा ६ पोत ७५ इंडिया परियोजना के हैं।
नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जंगी पोतों का बहुत हद तक स्वदेशीकरण कर लिया है। उन्होंने बताया कि १५ अल्फा परियोजना के पोत ६४ प्रतिशत,१५ ब्रावो परियोजना के पोत ९२ प्रतिशत, प्रोजेक्ट १७ के पोत ६०.८ प्रतिशत तथा प्रोजेक्ट १७ अल्फा के पोत ९० प्रतिशत स्वदेशी हो चुक हैं।
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