चैलेंजर
चैलेंजर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' के लिए सेवाएं देने वाला 'कोलंबिया' के बाद दूसरा अंतरिक्ष यान था। इसे 'ओवी-099' के नाम से भी जाना जाता है। इस अंतरिक्ष यान का निर्माण रॉकवेल इंटरनेशनल के स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स डिवीजन द्वारा किया गया था और इसका नामकरण ब्रिटिश नेवी का हिस्सा रहे मशहूर पोत 'ईएमएस चैलेंजर' के नाम पर किया गया था, जिसने 1870 के दशक में अटलांटिक व प्रशांत महासागर में समुद्री अनुसंधान संबंधी कई यात्राएं की थीं।
आज से ठीक उनतीस साल पहले यानी 4 अप्रैल को 1983 को अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से 'चैलेंजर' अपने पहले मिशन (एसटीएस-६) पर निकला था। इसके बाद इसने आठ और अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। लेकिन 28जनवरी 1986 को इसे दसवें मिशन (एसटीएस-५१-एल) पर प्रक्षेपित करने के 73 सेकंड बाद ही इस के एक बूस्टर के नाकाम होने की वजह से यह यान एक विस्फोट के साथ ध्वस्त हो गया और इसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष विज्ञानी मारे गए।
इस दुर्घटना के बाद 'नासा' ने अगले ढाई साल तक अपना कोई यान अंतरिक्ष में नहीं भेजा। वर्ष १९८८ में 'डिस्कवरी' यान को अंतरिक्ष में भेजने के साथ उसने अपना अभियान दोबारा शुरू किया। 'चैलेंजर' ने अंतरिक्ष में दस उपग्रहों को स्थापित किया था।http://www.bhaskar.com/ article/ INT-space-shuttle-challenge r-nasa-orbiter-vehicle-des ignation-ov-099-3058016.ht ml
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चैलेंजर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' के लिए सेवाएं देने वाला 'कोलंबिया' के बाद दूसरा अंतरिक्ष यान था। इसे 'ओवी-099' के नाम से भी जाना जाता है। इस अंतरिक्ष यान का निर्माण रॉकवेल इंटरनेशनल के स्पेस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स डिवीजन द्वारा किया गया था और इसका नामकरण ब्रिटिश नेवी का हिस्सा रहे मशहूर पोत 'ईएमएस चैलेंजर' के नाम पर किया गया था, जिसने 1870 के दशक में अटलांटिक व प्रशांत महासागर में समुद्री अनुसंधान संबंधी कई यात्राएं की थीं।
आज से ठीक उनतीस साल पहले यानी 4 अप्रैल को 1983 को अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से 'चैलेंजर' अपने पहले मिशन (एसटीएस-६) पर निकला था। इसके बाद इसने आठ और अंतरिक्ष मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। लेकिन 28जनवरी 1986 को इसे दसवें मिशन (एसटीएस-५१-एल) पर प्रक्षेपित करने के 73 सेकंड बाद ही इस के एक बूस्टर के नाकाम होने की वजह से यह यान एक विस्फोट के साथ ध्वस्त हो गया और इसमें सवार सभी सात अंतरिक्ष विज्ञानी मारे गए।
इस दुर्घटना के बाद 'नासा' ने अगले ढाई साल तक अपना कोई यान अंतरिक्ष में नहीं भेजा। वर्ष १९८८ में 'डिस्कवरी' यान को अंतरिक्ष में भेजने के साथ उसने अपना अभियान दोबारा शुरू किया। 'चैलेंजर' ने अंतरिक्ष में दस उपग्रहों को स्थापित किया था।http://www.bhaskar.com/
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